याद तुम्हारी…

बस है तो मेरे साथ मेरी तन्हाई
जो पल, पल कर रही है खोखला
मेरे मन के दरवाजे को

रात के इस पहर नींद आँखों से कोसो दूर
और तुम
तुम भी तो नहीं हो साथ मेरे

डरती हूँ कि कहीं तुम्हारी यादें
इस खोखले मन से सरक न जायें
करती हूँ कोशिश की संभाले रक्खूँ
तुम्हारी उन यादों को

जो अब भी जीनें का सहारा बनीं हैं मेरे
ये तुम्हारी यादें न होतीं तो
कब की ढ़ह गयी होती
भरभरा कर मैं दीवार की तरह

सच कहते हैं लोग कि कभी-कभी
यादें भी ज़रूरी होती हैं
जीनें के लिये ज़िन्दा रहनें के लिये
सुनों कि तुम्हारी याद आयी है …!!

याद_तुम्हारी

राधा

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