क्या feeling किसी पर थोपी का सकती हैं क्या कोई जबरदस्ती किसी को चाह सकता है ज़रूरी नहीं जब किसी के लिये feelings आयें तो उन्हें जताना जरूरी है
ये तो कभी भी किसी के लिये आ सकती हैं फिर ये कैसे कह देते हैं तुम्हें क्यों नही feel होता जैसा मुझे feel होता है सब का अपना नजरिया सबकी अपनी सोच
कौन किसे चाहता है वो उसका personal decision है हम उस पर दबाव नहीं बना सकते उसका view पूछना चाहिये अगर वो नहीं वैसा feel करता तो नाराज नहीं होना चाहिये बल्कि उसके decision की respect करनी चाहिये
क्या पता वो किसी और को चाहता हो और तुमसे अच्छी दोस्ती रखना चाहता हो मुझे लगता है दिल में feeling आना जरूरी है ये हमे एहसास दिलाती हैं हमारा दिल भी धड़कता है
किसी को देख कर ख़ुशी मिलती है किसी से बात कर के ख़ुशी मिलती है वो भी हमसे अपनापन दिखाता है तो अपना भ्रम बरकरार रखना चाहिए जता कर नाराज हो कर block करने से वो feeling नहीं ख़त्म होगीं बल्कि ज़्यादा दुख होगा
और दोस्ती में दरार आ जायेगी और एक बार आई दरार फिर नहीं भरती तो जो जैसा है उसे स्वीकार करो उसे बदलने की कोशिश न करो
अपनी feeling के साथ उसकी feelings की Respect कर जिंन्दगी भर के रिश्ते बना लेने चाहिये…!!
बहुत बरसों पहले की बात है, मुझे गमले और मिट्टी की सुराही लेनी थी, मेरे घर की सड़क के किनारे सिर्फ एक दो झोंपडि़याँ थी जहाँ मिट्टी के गमले और सुराहियाँ मिलती थी झोंपड़ी में देखा तो कोई न था जिससे में खरीद पाती
पास की झोंपड़ी में एक खटिया पर बैठी जो एक औरत पान बीड़ी बेच रही थी उससे पूछा तो कहने लगी. …कहीं पास ही गई होगी. .चलो. .तुम्हें जो लेना है ले लो,उसके दो पैसे बन जायेंगे, मैं दिए देती हूँ
वह खटिया से उठने लगी तो मुझे लगा वह कुछ मुश्किल से उठ पाई इसलिये कहा..रहने दीजिये आपको तकलीफ होगी..मैं फिर आ जाऊँगी वह बोली. .अरी बिटिया! बैठे बैठे क्या बढ़ता है….उम्र ही तो बढ़ती है
मैंने दो-तीन गमले खरीद लिये तो ख्याल आया जिसने इतनी तकलीफ की है उसकी दुकान से और कुछ नहीं तो दो-चार माचिस की डिबिया ही खरीद लूँ. ..उसे दो-चार पैसे तो मिलेंगे इसलिये मैंने कहा….अच्छा अम्मा अब एक दर्जन माचिस की डिबिया दे दो
वह जिस तरह कुछ मुश्किल से खटिया पर से उठी थी उसी तरह मुश्किल से बैठते हुए बोली. इतनी डिबिया लेकर क्या करोगी ?एक ले लो मेरे पास यही तो हैं दस-बारह खत्म हो जायेंगी तो और लाने के लिए शहर जाना पड़ेगा
पूछा—–अकेली हो ?शहर से सौदा लाने वाला कोई नहीं है तो वह हँस-सी दी कहने लगी- –हाँ बिटिया ! मैं अकेली हूँ, ईश्वर की तरह अकेली
मैं आज तक उस औरत को नहीं भूल पाई
दुनिया भर की शायरी मेरे सामने है- —विरह गान से भरी हुई, और शायर- —जो बहुत खूबसूरत तुलनाओं से,तस्बीहों से अकेलेपन की बात करते हैं
लेकिन ऐसा अकेला कौन है,जो ईश्वर की तरह अकेला है ··.!!
प्रेम की अभिलाषी स्त्री को जब नही मिल पाता प्रेम तो वो अकड़ जाती हैं किसी सूखे ठूँठ की तरह वो बन जाती है किसी पुराने कमरे की दीवार पर लगी तस्वीर सी
प्रेम की भागी स्त्रियाँ बन कर रह जाती हैं सिर्फ़ सुंदरता की अतुल्य मिसाल बेजान और धूल खाई हुई
प्रेम के भीतर व्यर्थ होती वो सपने और यथार्थ को लपेटे जीवन का बोझ उठाये चलती जाती है सन्नाटे की नोंक पर
अब वो इस तरह हैं कि बहुत सी ऋतुयें आती जाती हैं पर उन पर कोई असर नही होता वो मन ही मन बीती नईं अनंत बातो का जाल बुनती रहती हैं और उसी मे उलझती जाती हैं
वो नंगे पाँव मे काँटों सी चुभती हैं ख़ुद को लगातार व्यस्त और मौन सोचती हुई
और एक दिन मृत्यु की सफेद चादर पर दूर किसी छोर से आती हवा उन्हें ढँक लेती है…!!